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प्रेरणा स्त्रोत
✍सुपौत्र दिपेन्द्रसिंह रतनू की कलम से दाताश्री की सच्ची प्रेरणा पेश
शिक्षाविद् स्वर्गीय श्री जेठुदान चारण (सेवानिवृत जेसीओ AEC), व्याख्याता अग्रेजी (शिक्षा विभाग) की मधूर स्मृति में संचालित संस्थान जे.डी.मेमोरियल वेलफेयर सोसायटी (रजिस्टर्ड) पोकरण, जिला जैसलमेर राज्य राजस्थान |
“एक विशेष परिचय”
शिक्षाविद् स्वर्गीय जे.डी. चारण का नाम सफलतम सेना अधिकारी के साथ साथ एक आदर्श शिक्षकों की गणना में प्रथम पंक्ति में आता था | उनका जीवन सैनिकों, शिक्षकों एवं छात्रों के लिए प्रेरणा स्त्रोत का विशाल प्रकाश पुंज था | उन्होने अपने दिल में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का एवम् नवाचार युक्त गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाने का एक दिव्य स्वर्णिम स्वप्न संजोकर रखा था | वे अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक शिक्षा जगत से जुडे रहे | भारतीय सेना से सेवानिवृत होने के पश्चात उन्होने अंग्रेजी भाषा के व्याख्याता के रूप में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पोकरण में अपने स्वप्न को साकार करने में तन्मयता के साथ संलग्न रहते हुए आकस्मिक ह्रदयाघात से दिनांक 08-04-1994 को भगवान को प्यारे हो गये | स्वर्गीय श्री जेठुदान जी चारण एक सफल सैनिक, आदर्श अध्यापक, विद्यार्थियों के प्रेरणा स्त्रोत के साथ – साथ उच्च कोटि के कवि, लेखक, साहित्यकार एवम् संगीतकार भी थे, उनकी लिखी रचनाएँ आज भी हम सबका मार्गदर्शन करती है | एक ऐसे आदर्श पिताश्री को पाकर उनके परिवार के सदस्यों एवं उनसे जुड़े हुए शुभचिंतको ने उनकी कल्पनाओं में संजोए स्वप्न को साकार करने के लिए उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाये रखने के लिए उनकी मधुर स्मृति में जे.डी. मेमोरियल वेलफेयर सोसायटी की स्थापना की इस संस्थान के अध्यक्ष पद का दायित्व उनके सैनिक जीवन के साथी कैप्टन बागसिंह भाटी जसवंतपुरा को सौंपा गया, जिनकी पहचान एक कर्तव्यनिष्ठ एवं प्रतिष्ठित समाजसेवी के रूप में है | संस्थान के संरक्षक की बागडोर उनके ही ज्येष्ठ पुत्र अशोक चारण ने संभाली | संस्था ने सर्वप्रथम प्राथमिक कदम श्री करणी स्कूल के रूप में सन् 2000 में स्थापित किया | जैसा की हम सब जानते है कि जिस इंसान का पहला कदम मजबूती से उठता है तो स्वाभाविक है कि दूसरे कदम मजबूती के साथ उठते हुए लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढ़ते रहेंगे | इस विद्यालय की प्रगति और सफलता के साथ आगे बढने का गुढ रहस्य ये ही है | श्री करणी विद्यालय का शुभांरभ श्री अशोक चारण के आदर्श गुरू परम पुज्य संत श्री हरवंशसिंह निर्मल (भादरिया महाराज) के कर कमलों से किया गया तत्पश्चात विद्यालय ने एक बड़े स्वरूप की कल्पना को साकार रूप देते हुए वर्तमान में पोकरण ही नहीं बल्कि पश्चिमी राजस्थान में शिक्षा के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त संस्थान के रूप में संचालित है |